How To Born A Baby At Home for normal delivery tips In Hindi Language बच्चा पैदा कैसे करें

How To Born A Baby At Home In Hindi Language
बच्चा पैदा कैसे करें

 How to born a baby at home in Hindi language

किसी स्त्री अथ्वा पुरुष के लिए माता पिता बनने से अच्छा कोई और सुख हो ही नहीं सकता और संभव है आप कभी बिना चिकित्सीय मदद वाली जगह पर फस जायें और आपको एक बच्चे को जन्म देने में मदद करने के लिए बुलाया जाये| तो घबराइये मत इस विडियो की मदद से आप  जानेगे किसी बच्चे को जन्म देने का तरीका

आपातकालीन सेवाओं से सम्पर्क अवश्य करें:-

  अगर आप स्वयं बच्चे को जन्म भी दिला दिला सकते है तब भी आपातकालीन सेवाओं से सम्पर्क अवश्य करें | बच्चा पैदा होने के दौरान दो चरण होते है पहले चरण में सर्विक्स पूरी फ़ैल जाती है अगर महिला का पहला बच्चा है तो योनी में सर्विक्स के फैलने में लम्बा समय लगता है  अगर आप बच्चे के सिर की क्राउननिंग देख सकते हों तो वह महिला दूसरी स्टेज में पहुँच गयी है| अपने हाथ धोएं और बच्चे को पकड़ने के लिए तैयार रहें|

हाथों को धोने का तरीका :-

  किसी भी तरह के आभूषण जैसे अंगूठी या घड़ी को निकल कर रख दें | अपने हाथों को कीटाणुरोधी साबुन और गर्म पानी से धोएं | कोहनी तक अपने हाथों को अच्छे से रगड़ें | अगर आपके पास समय हो तो 5 मिनट तक हाथ धोएं और अगर समय कम हो तो भी कम से कम 1 मिनट तक अवश्य हाथ धोएं

प्रसव के स्थान या जन्मस्थान की तैयारी : 

 एक टेबल को अपने पास रख लें जिससे आपको जिन चीज़ों की ज़रूरत हो वो आपकी पहुँच में रहें और माँ यथासंभव आराम में रहे| बच्चे को जन्म देने का स्थान स्वच्छ होना चाहिए अगर समय हो तो कमरे को डीटाल अथ्वा नीम के पत्तो से साफ कर दें बच्चे के जन्म के बाद जन्मस्थान पर बहुत गंदगी हो जाएगी इसलिए आपके पास एक ऐसा जन्मस्थान होना चाहिए जिसके गंदे होने की फ़िक्र न रहे

माँ को शांत बनाये रखने में मदद करें: 

 पहला बच्चा जन्म देते समय स्त्री बहुत घबराहट और परेशानी अनुभव कर सकती है |उसे शांत रखने के लिए आप जो कर सकते हों, करें और उसे आराम देने की कोशिश करें | उसे लम्बी सांस लेने के लिए प्रोत्साहित करें | धीमे, मीठी आवाज़ में बोलकर उसे सांस लेने के लिए निर्देश दें और तनाव से बचें | उसे एक लय में अपनी नाक से सांस लेने और मुँह से छोड़ने के लिए प्रेरित करें | अगर आप खुद भी तनाव  में हों तो उसका हाथ पकडकर साथ में गहरी और धीमी सांस लें

एक आरामदायक स्थिति को ढूंढने में माँ की मदद करें:  

 जब स्त्री को संकुचन आता है तो महिला चारों ओर घूम सकती है या बैठ सकती है | जैसे ही प्रसव की दूसरी फेज़ शुरू होती है महिला बच्चा जन्म देने की स्थिति में आ सकती है | स्त्री का उकड़ू बैठना, बच्चे को जन्म देने की एक अच्छी पोजीसन मानी जाती है इस स्थिति में गुरुत्वाकर्षण के कारण माँ को लाभ मिलता है और बर्थ कैनाल अन्य स्थितियों की तुलना में 20 से 30 प्रतिशत तक अधिक खुलती है आप घुटनों पर माँ के पीछे बैठकर और उसकी कमर को सहांरा देकर माँ की मदद कर सकते हैं

माँ को जोर लगाने (pusshing) में मदद करें :

 जब तक महिला बंद न होने वाले दबाव (unstoppable pressure) का अनुभव न करे तब तक उसे जोर लगाने के लिए न कहें क्योंकि इससे उसकी ऊर्जा की बर्बादी होगी और वो जल्दी ही थक जाएगी | माँ को आगे की ओर मुड़ने के लिए कहें | इस तरह की घुमावदार स्थिति से बच्चे को पेल्विस में से आने में मदद मिलेगी | जब महिला जोर लगाये तो उस समय अगर माँ अपने पैरों या घुटनों को पकडकर पीछे की ओर खींचे तो यह प्रसव में मददगार होगा |

बच्चा पकड़ते समय की सावधानिया :-

  बच्चे के सिर या नाल (cord) को न खींचें” | ऐसा करने से नर्व डैमेज हो सकता है अगर नाल बच्चे की गर्दन के चारों ओर लिपटी हुई हो तो बच्चे के सिर के ऊपर से उसे धीरे से उठाएं या सावधानी के साथ ढीला करें जिससे बच्चा लूप में से खिसक सके |”नाल पर खिंचाव न डालें’ |

जटिल स्थिति (प्रसव अवरुद्ध) में :- 

आशा करें कि सब कुछ अच्छा हो और अब आप सफलतापूर्वक एक स्वस्थ बच्चे का प्रसव करवा सकें | अगर प्रसव अवरुद्ध होता लगे और महिला के जोर लगाने के बाद सिर बाहर आ जाये और बांकी शरीर बाहर न आये तो उसे पीठ के बल लिटाकर उसे अपने घुटने पकडकर अपनी छाती से लगाने के लिए कहें और हर दर्द पर या संकुचन के पर तेज़ी से जोर लगाने के लिए कहें |

बच्चे के मुँह और नाक में भरा फ्लुड या तरल बाहर निकलना:-


 प्रसव से हुए बच्चे को अपने दोनों हाथों से पकड़ें, उनमे से एक हाथ से उसकी गर्दन और सिर को सहारा दें | तरल को बाहर करने के लिए सिर को लगभग 45 डिग्री के कोण से नीचे झुकाएं | पैर सिर की अपेक्षा थोड़े ऊपर होने चाहिए लेकिन बच्चे को पैरों से नहीं पकड़ना चाहिए| एक साफ़ कीटाणु रहित  कपड़े से नाक और मुँह के भाग पर उपस्थित म्युकस या अम्नियोटिक फ्लुड को साफ़ करें

बच्चे को माँ के सीने पर रखें:-

ध्यान रखें कि पूरी तरह से त्वचा का संपर्क रहे और दोनों को साफ़ टॉवेल या कम्बल से ढँक दें | त्वचा से त्वचा का संपर्क एक ओक्सीटोसिन नामक हार्मोन को निकलने के लिए बढ़ावा देता है जिसकी मदद से माँ प्लेसेंटा को बाहर निकाल पाती है बच्चे को ऐसी स्थिति में रखें कि उसका सिर बांकी शरीर से थोडा नीचे रहे जिससे फ्लुड बाहर निकलता रहे | अगर माँ लेटी है तो बच्चे का सिर उसके कंधे पर हो और बांकी शरीर उसके ब्रैस्ट पर हो, यह स्थिति प्राकृतिक रूप से होना चाहिए

जब बच्चा ना रोयें :- 

बच्चे के शरीर को मलें | शारीरिक स्पर्श बच्चे को सांस लेने में मदद करता है | जब बच्चा माँ के सीने से लगा हो तब उसकी पीठ को कोमलता से मलें | अगर इससे मदद न मिले तो बच्चे का मुँह छत की ओर करके उसके सिर को पीछे की ओर झुकाएं जिससे वायुरंध्र एक सीध में हो और शरीर को मलते रहें | इससे हो सकता है कि बच्चा रोये नहीं पर उसे जितनी ज़रूरत होगी उतनी वायु मिलती रहेगी

बच्चे को माँ का दूध पिलवायें-:  

 जितना जल्दी हो माँ को अपने बच्चे को अपना दूध पिलाने के लिए प्रोत्साहित करें | इससे संकुचन होगा और प्लेसेंटा बाहर आएगा |

नाल को कब काटें, निर्णय लें:-

आपको नाल केवल तब काटनी चाहिए जब चिकित्सीय देखरेख की उपलब्धता कुछ ही घंटों की दूरी पर हो | अन्यथा इसे ऐसा ही छोड़ दें और ध्यान रखें कि यह कसकर खिंचे नहीं | अगर आपको नाल काटने की ज़रूरत पड़े तो पहले पल्स के लिए नाल को कोमलता से अनुभव करें और उसके लगभग 10 मिनट बाद प्लेसेंटा के अलग हो जाने से नाल की पल्स बंद हो जाएगी इसके बाद ही उसे काटें | इसके पहले न काटें

घबराएँ नहीं :-  

 अगर पैदा होने पर बच्चे का रंग हल्का नीला हो या बच्चा सही तरीके से रो नहीं रहा हो तो चिंता न करें | बच्चे का रंग-रूप माँ के जैसा ही होगा बस एक बार बच्चा रोना शुरू कर दे, लेकिन हाथ और पैर नीले बने रह सकते हैं| बस, गीली टॉवेल को सूखी से अवश्य बदल दें
Share on Google Plus

About Home remedies Pregnancy tips in hindi

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें