How to improve communication skills कम्युनिकेशन स्किल सुधारने के तरीके

How to improve communication skills
कम्युनिकेशन स्किल सुधारने के तरीके 

How to improve communication skills कम्युनिकेशन स्किल सुधारने के तरीके

कोई भी व्यक्ति अगर सफल हुआ है तो वह बोलने और और दूसरे की बात को समझने से हुआ है। क्योंकि जिस व्यक्ति के पास बोलने और दूसरे को समझने की कला है वह व्यक्ति भीड़ में अपनी पहचान बना लेता है| अगर आप एक आकर्षक, प्रभावी और खुसमिजाज व्यक्तित्व वाले व्यक्ति बनाना चाहते है तो आपको बोलने की कला को सीखना होगा। महान कवि कबीर दास जी ने कहा है। ‘ऐसी बानी बोलिय, मन का आपा खोय|’ औरन को शीतल करे, आपहि शीतल होय मतलब ऐसी बाणी बोलने की कोशिश कीजिये जिससे खुद को एवम सुनने वाले दोनों को खुशी मिले।

Tips 1 विषय पर ही केन्द्रित रह कर बात करे :-

 कई बार बात करते करते व्यक्ति, बात का अथ्वा बहस का विषय (topic) ही भूल जाता है। जिससे सुनने वाला बोर होने लगता है। लकिन अगर आप किसी इंटरव्यू या ग्रुप डिसकसन में है तो कोशिश करें की टॉपिक अपनी नॉलेज के अनुसार घुमा कर अपने छेत्र में ले जाये जिससे आप अच्छी तरह से खुद को साबित कर पाये।

Tips -2 आवाज में उतार चड़ाव लाना:-

एक सी आवाज में लगातार न बोले| अपनी आवाज में भावों के अनुसार उतार-चड़ाव लाये इससे सुनने वाले को आपकी बात समझने में आसानी होती है आपका कद बढ़ता है |महान वक्ता श्री मान कारनेगी जी के अनुसार - सफल और असफल व्यक्ति के बीच यह फर्क होता है कि वह बोलने की प्रभावी कला से स्वयं को सटीक रूप में अभिव्यक्त करने की क्षमता रखता है ।

Tips 3 बिना सोचे समझे न बोले :- 

अगर आप को किसी टॉपिक की जानकारी नहीं है तो सामने वाले कि बात को अच्छी तरह सुनें और उसे बाद में चेक करे की क्या उसकी बात सही है। ये ज्ञान आपको भविष्य में काम आ सकता है। अपने ज्ञान को लगातार बढ़ाते रहे। क्योकि बिना ज्ञान के तो आप कुछ कर ही नहीं सकते। टिप्स ४ दुख पहुचाने वाली बातो से बचे :- बोलते समय इस बात का खास ध्यान रखे कि कोई भी ऐसी बात न करे जिससे दूसरो को दुःख पहुचता हो कुछ लोगो की बात-बात पर ताने मारने की आदत होती है। ऐसे लोग किसी को भी पसंद नहीं होते है| बात करते समय सामने वाले कि तार्किक क्षमता के अनुसार शब्दो का प्रयोग करेl जिससे वह आपकी अभिव्यक्ति को अच्छी तरह से समझ सके।

Tips 4 सुनने की कला :-

सुनने के लिए हृदय शांत, खुला होना चाहिए। इतनी तल्लीनता से उसे सुनें कि दूसरा व्यक्ति अपने गहरे से गहरे राज आपके सामने खोल दे । कई बार लोग सामने वाले को बोलने का अवसर नहीं देते जिससे एक-दुसरे में मनमुटाव हो जाता है कुछ भी सुने पूरी एकाग्रता से सुने। क्योकि जब हम बोलते है तो अपना ज्ञान दूसरे को देते है लकिन जब हम सुनते है उस समय हमारे ज्ञान में बृद्धि हो रही होती है। 
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